Sunday, 23 March 2025

कभी कभी रिक्शा मे भी सफर कर लेता हूँ


यूँ तो है आज तीन तीन टू विलर्स ड्राइविंग के 
लिए

लेकिन 

कभी कभी रिक्शा मे भी सफर कर लेता हूँ 

इसी बहाने यादो के झरोखे 

मे खो जाता हूँ 

याद आता है वो दादर से सायन का सफर 

कभी बरसात की बूंदो मे भीगना 

कभी ठंठ मे स्वेटर पहनना 

कभी तपती धुप मे तपना 

कभी किसी का इंतजार करना 

कभी लेक्चर  से बँक मारना 

और पार्क  मे बैठ जाना 

हाय, क्या सफर था सुहाना

गर होता उस ज़माने मे मोबाइल 

मिल जाता उसका ठिकाना 

जैसे ही उतरता हूँ घर के पास 

वर्तमान मे वापस आ जाता हूँ.

हाय, क्या सफर था सुहाना...

Originally Written by

Dashrath Chaudhari: Date - 23 March 2025

Day - Sunday 

Place - Dadar  -Mumbai 

Time - 21:55 Night

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