Sunday, 23 March 2025

I remember that journey from Dadar to Sion


I remember that journey from Dadar to Sion

Sometimes getting drenched in the raindrops

Sometimes wearing a sweater in the cold

Sometimes getting sweltering in the hot sun

Sometimes,


waiting for someone

Sometimes bunking a lecture

And sitting in the park

If there was a mobile in those days

I would have found her address

As soon as I get down near the house

I come back to the present.

Oh, what a pleasant journey it was...

Originally Written by

Dashrath Chaudhari

 Date - 23 March 2025

Day - Sunday

Place - Dadar -Mumbai

Time - 21:55 Night

कभी कभी रिक्शा मे भी सफर कर लेता हूँ


यूँ तो है आज तीन तीन टू विलर्स ड्राइविंग के 
लिए

लेकिन 

कभी कभी रिक्शा मे भी सफर कर लेता हूँ 

इसी बहाने यादो के झरोखे 

मे खो जाता हूँ 

याद आता है वो दादर से सायन का सफर 

कभी बरसात की बूंदो मे भीगना 

कभी ठंठ मे स्वेटर पहनना 

कभी तपती धुप मे तपना 

कभी किसी का इंतजार करना 

कभी लेक्चर  से बँक मारना 

और पार्क  मे बैठ जाना 

हाय, क्या सफर था सुहाना

गर होता उस ज़माने मे मोबाइल 

मिल जाता उसका ठिकाना 

जैसे ही उतरता हूँ घर के पास 

वर्तमान मे वापस आ जाता हूँ.

हाय, क्या सफर था सुहाना...

Originally Written by

Dashrath Chaudhari: Date - 23 March 2025

Day - Sunday 

Place - Dadar  -Mumbai 

Time - 21:55 Night

Saturday, 22 March 2025

Why is advertising necessary

 Why is advertising necessary


If you want to expand your product or art in a big market or on a global level, then you must do marketing, advertising, advertisement of that product or art.

I will share an incident related to this with you. Once an advertisement worker went to the owner of a company and requested for advertisement but the owner of the company refused. After some time, the owner of the same company himself reached the advertising office and asked a question, "Just explain to me once, why is advertising necessary? Now the manager of the advertising company said, suppose, "Someone is very beautiful but is standing in the dark, then how will people know about her beauty." That is why advertising is necessary and WhatsApp, Instagram, Facebook, YouTube are its means.

Concept Originally Rewritten by

Dashrath Chaudhari 9405840139


विज्ञापन क्यों जरूरी है


 विज्ञापन क्यों जरूरी है 

आप अगर अपने किसी प्रोडक्ट, या किसी कला को बड़े मार्केट मे या ग्लोबल लेवल पर विस्तार करना चाहते है तो आपको उस प्रोडक्ट या कला की मार्केटिंग, एडवरटाइजिंग, विज्ञापन करना जरूरी है. 

इसी से रिलेटेड एक किस्सा मै आपसे शेयर करता हूँ. एक बार एक विज्ञापन  का काम करने वाला  एक  कम्पनी के मालिक के पास गया और विज्ञापन देने के लिये आग्रह किया लेकिन कम्पनी के मालिक  ने मना कर दिया. कुछ समय के बाद वही कम्पनी का मालिक खुद विज्ञापन के आफिस पहुंचा और एक प्रश्न किया, " मुझे सिर्फ एक बार समझा दीजिये, विज्ञापन क्यों  जरुरी है? अब विज्ञापन कम्पनी के मैनेजर ने कहा, मान लीजिये, " कोई बहुत खूबसूरत है लेकिन अँधेरे मे खड़ा है तो लोगो को उसकी खूबसूरती के बारे मे कैसे पता चलेगा. " इसीलिए विज्ञापन करवाना जरूरी और व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यू ट्यूब, उसके साधन है. 

Concept Originally  Rewritten by 

Dashrath Chaudhari 9405840139

Saturday, 15 March 2025

अरुण गोविल जी ने रामायण टेलीविज़न सीरियल मे भगवान राम की भूमिका


Inspiring Story of Most Popular Character of Bhartiya Television  Industry -
Ramayan - Arun Govil As Ram Your Smile can Change Your entire Life

अरुण गोविल जी ने रामायण टेलीविज़न सीरियल मे  भगवान राम की भूमिका निभा कर हमेशा के लिये राम के किरदार के लिये  अमर हो गये है. 

लेकिन उन्हें राम की भूमिका एकदम एक पल मे नहीं मिली. दरअसल अरुण गोविल के भाई की शादी मशहूर एक्ट्रेस तबस्सुम हो ती है. इस प्रकार अरुण गोविल भी मेरठ - उत्तर प्रदेश को छोड़कर कर मुंबई आ गये और कुछ काम भी मिलने लगा. लेकिन कुछ समय के बाद उन्हें बड़े पर्दे पर काम मिलना बंद हो गया.

अब अरुण गोविल जी ने सोचा ठीक अब टेलीविज़न पर काम करेंगे. 1985 मे  रामानंद सागर रामायण बना रहे थे और वे राम की तलाश मे थे. जैसे ही यह अरुण जी पता चला वे सीधे रामानंद जी के पास चले आये. रामानंद सागर जी  ने अरुण गोविल को ऊपर से निचे तक देखा और कहा, " मै आपको राम का रोल नहीं दे सकता ". अरुण गोविल दुखी मन से घर आये और भाभी जी तब्बूसुम से कहा प्लीज आप कुछ कीजिये. तब्बूसुम ने ठीक है एक बार वापस जाओ. मै सागर साहब से फोन पर बात करती हूँ. अरुण जी दोबारा रामानंद सागर के पास पहुँचे. रामानंद जी फिर अरुण गोविल के चेहरे को देख रहे थे उसी समय अरुण जी के चेहरे पर एक हल्की की मुस्कुराहट आ गयीं. बात बन गई, रामानंद जी कहा," अब राम की भूमिका सिर्फ और सिर्फ तुम ही करोगे ". इस प्रकार अरुण गोविल जी भगवान राम बन गये. जो वर्तमान मे मेरठ से भारतीय जनता पार्टी के सांसद है.

Information Rewritten by Prof. Dashrath Chaudhari. 21/02/ 2025

प्रोफेसर-रुपया और निबंध

एक ईकोनॉमिक्स के प्रोफेसर कॉलेज मे स्टूडेंटस को निबंध लिखने  को दे रहे थे . विषय  इस प्रकार था-एडवांटेज एंड डिसएडवांटेज ऑफ़ रूपया.एक स्टूडेंट...